स्वाइन फ्लू, शायद आज कोई ही ऐसा व्यक्ति होगा जो इस बीमारी से अनजान हो। 2009 में स्वाइन फ्लू के केस पहली बार मेक्सिको में पाए गये थे, या यूँ कहें की मेक्सिको की धरती पर जन्मी यह बीमारी आज महामारी का रूप ले चुकी है। शुरुआती दिनों में जब स्वाइन फ्लू जन्मा था, स्वाइन फ्लू के लक्षण (Swine flu symptoms in Hindi) सामान्य फ्लू की तरह ही थे। किन्तु स्वाइन फ्लू मामूली फ्लू की तुलना में कई गुना खतरनाक होता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में विश्व के कुल दशों में से 82 देश आज इस महामारी का शिकार हो चुके हैं। भारत भी इस महामारी से अछूता नहीं है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत भर में स्वाइन फ्लू के 22,186 से ज्यादा मामलों की सूचना मिली है। इससे बचाव के लिए जरूरी है की हमे इसके लक्षण (स्वाइन फ्लू के लक्षण) और बचाव के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे हम सावधानी बरत सकें और इस जानलेवा बीमारी से बच सकें।
स्वाइन फ्लू क्या है?
स्वाइन इन्फ्लूएंजा को स्वाइन फ्लू, हॉग फ्लू और शुकर फ्लू भी कहा जाता है। 2009 में जन्मे इस संक्रमण को एक अन्य नाम एच1एन1 (H1N1) वायरस फ्लू से भी जाना जाता है। स्वाइन फ्लू एक प्रकार का श्वसन रोग है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। 2009 में, इस संक्रमण ने आते ही कई देशो को अपनी चपेट में ले लिया, और अनेक लोगों की मृत्यु हुई।
H1N1 को स्वाइन फ्लू के लक्षण और जानलेवा परिणामों की वजह से 2009 में WHO ने स्वाइन फ्लू को एक महामारी घोषित कर दिया। इस बीमारी को स्वाइन फ्लू इसलिए कहा जाता है क्यूकि इसके वायरस और जर्म्स उन लोगों में फैलते हैं जो के सुअरों के सीधे संपर्क में रहते हैं या सुअरों के फार्म चलाते हैं। स्वाइन फ्लू वायरस मोटे तौर पर चार तरह के होते हैं- H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इनमें H1N1 सबसे खतरनाक है और दुनियाभर में यही वायरस सबको अपनी चपेट में ले रहा है।
इन तीन प्रकार के प्रमुख वायरस के कारण स्वाइन फ्लू होता है – जो हाल के वर्षों में अमेरिका में पाए गए थे:-
- स्वाइन ट्रिपल रिसर्टिंग (Swine triple reasserting (tr) H1N1 Influenza Virus)
- trH3N2 Virus
- trH1N2 Virus
स्वाइन फ्लू कैसे होता है?
प्रश्न यह है की इस संक्रमण की शुरुआत कहाँ से हुई ? स्वाइन फ्लू के फैलने के पीछे आम धारणा यह है कि यह रोग मुख्यतः सूअरों से फैलता है। शुरुआती दिनों में स्वाइन फ्लू फैलने का मुख्य कारण इस प्रकार है – मेक्सिको में बहुत बड़ी संख्या में MNC’s हैं जो दुनियाभर में सूअरों का मीट सप्लाई करती हैं, लेकिन उन कसाईखानों में सफाई न होने के कारण सूअरों के सड़े गले अंगों में यह वायरस पनपने लगा और इस संक्रमित माँस को खाने के कारण स्वाइन फ्लू फैलने लगा। जो लोग अक्सर सूअरों के सम्पर्क में रहते हैं उनमे इस वायरस के होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
इसके अलावा यह बीमारी खाँसने , छींकने, हाथ मिलाने इत्यादि कारणों से भी फैलती है। जब इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति खाँसता या छींकता है तो इसके वायरस हवा में फ़ैल जाते हैं और अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को भी संक्रमित कर देते हैं। यह सांस के जरिये फैलने वाली बीमारी है। स्वाइन फ्लू के बारे में विशेष बात यह है की यह केवल गंम्भीर मामलों में ही जानलेवा होता है इसलिए आवश्यक है की समय रहते स्वाइन फ्लू के लक्षण (Swine flu ke lakshan) की पहचान करके इसका इलाज करा लिया जाये।
स्वाइन फ्लू के लक्षण- Swine flu symptoms in Hindi
सामान्यतः स्वाइन फ्लू के लक्षण 1 से 3 दिन के अन्दर दिखाई देने लगते हैं, परन्तु कुछ लोगों में इसके लक्षण एक दिन में ही दिखने लगते हैं। वैसे H1N1 फ्लू के लक्षण सीजनल फ्लू के समान ही होते हैं। जैसे की आम फ्लू में खाँसी, जुखाम इत्यादि होता है वैसे ही स्वाइन फ्लू में भी होता है।
स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं
स्वाइन फ्लू के लक्षण आमतौर पर साधारण फ्लू के जैसे ही होते हैं, परन्तु अगर इन्हे नजरंदाज किया जाये तो ये प्राणघातक साबित हो सकते हैं। आइये जानते हैं क्या होते हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण –
- तेज बुखार आना
- सूखी खाँसी
- सिरदर्द
- कमजोरी और थकान होना
- मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द और बदन दर्द
- पेट दर्द के साथ दस्त
- उल्टी और मतली
- गले में खरास
- छींक आना
- नींद न आना
- कम भूख लगना
इसके बारे में भी विस्तार से पढ़ें: Chikungunya Symptoms in Hindi.
अगर लक्षण गंभीर हों तो अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में, निमोनिया और श्वसन विफलता (साँस लेने में परेशानी) जैसी गंभीर जटिलताओं से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
स्वाइन फ्लू के इलाज
यद्धपि स्वाइन फ्लू एक जानलेवा बीमारी है फिर भी काफी हद तक इसका इलाज सम्भव है। वैसे तो स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए कुछ दवाएं उपलब्ध है जैसे – टैमीफ्लू और रेलिंज़ा, किन्तु ये दवाएं इस फ़्लू को रोक तो नही सकती, पर इसके खतरनाक नतीजों को कम कर जान जरूर बचा सकती हैं। इसके अलावा स्वाइन फ्लू का उपचार 2 प्रकार से किया जाता है –
- सिम्पटोटिक इलाज ( लक्षणों के आधार पर)
- सिस्टेमेटिक इलाज
सामान्यतः स्वाइन फ्लू का इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है, अगर आप समय से इलाज करा लेंगे तो आप इसके दुस्प्रभावों से बच सकते हैं।
इसके अलावा आप स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें –
- बचाव के लिए जरूरी है की आप अपने घर और आस पास की जगहों का साफ रखें
- गन्दा पानी इकठ्ठा न होने दे
- स्वाइन फ्लू के मरीज से दूरी बनाये
- स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को जितना हो सके कम लोगों से मिलने दे
- साफ रुमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करे और टिश्यू पेपर को तुरंत कूड़ेदान में फेंक दें
- हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान दें और समय समय पर हाथ धोते रहें
- भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जाये
- खाँसते या छींकते समय मुँह पर रुमाल या टिश्यू पेपर रखें
इसके बारे में भी विस्तार से पढ़ें: Typhoid Meaning in Hindi.
इन सावधानियों को बरतें और स्वाइन फ्लू से बचें और सही समय पर स्वाइन फ्लू के लक्षणों (Swine flu symptoms in Hindi) की पहचान करके तुरंत डॉक्टर को दिखाए। स्वछता का विशेष ध्यान रखें और जितना हो सके स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति से दूरी बनाकर अपने आपको इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते हैं।
स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए आज ही अपने पास के डॉक्टर (Best Swine Flu Doctors) से अपॉइंटमेंट बुक करें और इस जानलेवा बीमारी से बचें।
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