क्या आप बढ़ती उम्र के साथ किसी ऐसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं जिसमे आपके हाथ पैर सुन्न पड जाते हैं और आपका दिमाग सही से काम करना बंद कर देता है या आपके दिमाग का आपके शरीर के बाकी हिस्सों पर कण्ट्रोल नहीं रहता। ये सभी लक्षण पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease in Hindi) के हो सकते है। आपको यकीन नहीं होगा पर हमारे देश भारत में हर साल करीबन 10,00000 से भी ज्यादा लोग शिकार होते है। यह एक न्यूरोडिजेनरेटिव डिसऑर्डर है जो हमारे दिमाग के उस हिस्से को निशाना बनती है जो हमारे शरीर को यह बताता है की कोई काम कैसे करना है। ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं, पर यह जरूरी नहीं है की वृद्ध लोग ही इसका शिकार होंगे, बहुत बार आनुवंशिकता के कारण बच्चे बह इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इस लेख की सहायता से हम ये जानेगें कि इसका मतलब (Parkinson disease meaning in Hindi) क्या होता है और इसके कारण, लक्षण किस प्रकार के होते हैं।
पार्किंसन बीमारी क्या है?
पार्किंसंस बीमारी का दिमाग पर प्रभाव हिंदी में
Parkinson disease meaning in hindi - हमारे मस्तिष्क की गहराई में, एक निग्रा नामक एक क्षेत्र होता है, इसकी कुछ सेल्स डोपामाइन बनाती हैं,जो एक तरह का रसायन होता है जो आपके दिमाग के चारों ओर से संदेश लाता है। उदाहरण के लिए - जब आपको खुजली करने का मन करता है या किसी गेंद को मारने का मन करता है, तो डोपामाइन जल्दी से उस नर्व को नियंत्रित करने वाले नर्व सेल्स को संदेश भेजता है।जब आपका सिस्टम सामान्य रूप से चलता रहता है तो आपके कार्य करने की क्षमता और गुणवत्ता काफी अच्छी होती है वहीं जब आपको कार्य करने में परेशानी होने लगती है, तब आप इसका शिकार होते हैं।पार्किंसन बीमारी के कारण हिंदी में
इसके कारण (Causes of Parkinson’s disease in Hindi) अभी तक स्पष्ट नहीं है, पर यह हमारे दिमाग में डोपामाइन नामक रसायन के स्तर के गिरने के कारण होता है डॉक्टर्स के अनुसार जब निग्रा की सेल्स मरने लगती हैं तो डोपामाइन का स्तर गिरने लगता है और वह शरीर के बाकि अंगों से मिलने वाले संकेतों को दमाग तक पहचान बंद कर देता है परिणामस्वरूप मनुष्य में चलने फिरने में परेशानी होना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।पार्किंसन रोग के लक्षण
सभी व्यक्तियों में पार्किंसंस रोग के लक्षण अलग तरह के हो सकते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह बीमारी अधिक प्रभावित करती है। इसके लक्षण या शुरुआती संकेत बहुत हल्के या न के बराबर होते हैं और इसके लक्षणों की खास बात यह है की ये शरीर के एक तरफ से शुरू होते हैं और दूसरी तरफ से प्रभावित होने के बावजूद, उस तरफ (जहां से लक्षण प्रारम्भ हुए) ज्यादा बदतर होते रहते हैं।- कम्पन: यह लक्षण इस बीमारी का सबसे आम लक्षण है, जो आमतौर पर शरीर के किसी एक अंग में शुरू होता है या अक्सर आपके हाथ या उँगलियों में होता है। यह अक्सर तब होता है जब आपका हाथ रेस्ट मोड पर होता है।
- गति धीमी हो जाना (ब्रैडकेनेसिया): जैसे जैसे समय बीतता है इसके कारण मनुष्य की कार्य करने की गति धीमी होती जाती है, जिससे सरल कार्य भी कठिन लगने लगते हैं और कार्य को खत्म करने में समय लगने लगता है।
- मांसपेशियों का कठोर हो जाना: मांसपेशी कठोरता आपके शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। कठोर मांसपेशियां दर्दनाक हो सकती हैं और गति की सीमा को सीमित कर सकती हैं।
- संतुलन में परेशानी: पार्किंसंस बीमारी के कारण आपको संतुलन में परेशानी का सामना करना पद सकता है साथ ही आपकी मुद्रा समान्य से कुछ अलग हो सकती हैँ।
- स्वचालित कार्यो का न होना: इस बीमारी के चलते कुछ कार्य जैसे आँखे झपकना, चलते समय हाथों का हिलना, हंसना इत्यादि में परेशानी आने लगती है।
- बोली में बदलाव: समय के साथ आपकी बोली में परिवर्तन आ सकता है, इस बीमारी के समय आपकी बोली में कभी कभी थोड़ी हिचकिचाहट आना, आवाज क निकलना इत्यादि समस्याएं आ सकती हैं।
- लिखावट में बदलाव: इसमें आपको लिखने में परेशानी का सामना उठाना पड सकता है और आपकी लिखावट भी छोटी हो जाती है क्योंकि आपको लिखने में परेशानी होने लगती है।
- चिंता, असुरक्षा, और तनाव
- उलझन (कन्फ्यूजन)
- याद न रहना
- डिमेंशिया (बुजुर्गों में अधिक आम)
- कब्ज - Constipation Meaning in Hindi
- डिप्रेशन
- निगलने में कठिनाई होना
- सूंघने की शक्ति कम हो जाना
- अत्यधिक पसीना आना
- सीधा दोष (ईडी)
- त्वचा संबंधी समस्याएं
- धीमा, शांत भाषण, और मोनोटोन आवाज
- मूत्र आवृत्ति बढ़ जाना
- सोने में परेशानी या अनिद्रा-
- थकान -
पार्किंसन बीमारी के शिकार कौन होते हैं? | Who gets Parkinson’s disease in Hindi

- आयु इस बीमारी के होने का और इसके विकास का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, ज्यादातर लोग जो इस बीमारी के शिकार होते हैं उनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक होती है।
- पुरुषों में इस बीमारी के होने की सम्भावना महिलाओं की तुलना में 2 गुना ज्यादा तक होती है।
- कुछ प्रतिशत लोग आनुवंशिकता के कारण भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
- सिर में चोट लगने या किसी बीमारी की वजह से भी कोई व्यक्ति इसका शिकार हो सकता है।
- फलों और सब्जियों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक रसायनो की वजह से भी इस बीमारी के होने का खतरा बना रहता है।
पार्किंसंस बीमारी का इलाज हिंदी में
पार्किंसंस चमत्कार इलाज करने के लिए वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। परन्तु इसके लक्षणों को सुधरने के लिए और कम करने के लिए बहुत सारी थेरेपी उपलब्ध हैं। इन सभी थेरेपी को मस्तिष्क में डोपामाइन की जगह, डोपामाइन की नकल करने, या डोपामाइन के प्रभाव को लंबे समय तक अपने ब्रेकडाउन को रोककर मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
पार्किंसन रोग क्यों होता है?
पार्किंसंस रोग एक मस्तिष्क की स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप अनजाने में या अनियंत्रित आंदोलनों जैसे कांपना, कठोरता, और संतुलन और समन्वय के साथ समस्याएं होती हैं।
पार्किंसंस रोग कैसे होता है?
बेसल गैन्ग्लिया, मस्तिष्क का एक क्षेत्र जो आंदोलन को नियंत्रित करता है, तंत्रिका कोशिका हानि और / या मृत्यु का अनुभव करता है, जिसके परिणामस्वरूप पार्किंसंस रोग के सबसे अधिक ध्यान देने योग्य लक्षण और लक्षण दिखाई देते हैं। ये तंत्रिका कोशिकाएं, या न्यूरॉन्स, सामान्य रूप से महत्वपूर्ण मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन उत्पन्न करते हैं।
क्या पार्किंसंस रोग ठीक हो सकता है?
पार्किंसंस रोग का वर्तमान में कोई ज्ञात इलाज नहीं है, हालांकि ऐसे उपचार हैं जो लक्षण राहत और जीवन रखरखाव की गुणवत्ता में सहायता कर सकते हैं। फिजियोथेरेपी जैसे सहायक उपचार इनमें से कुछ उपचार हैं। दवाई।
पार्किंसंस रोग के पहले लक्षण क्या हैं?
रोग के शुरुआती लक्षण धीरे-धीरे और सूक्ष्म रूप से प्रकट होते हैं। उदाहरण के लिए, लोगों को हल्के झटके या कुर्सी से उठने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। वे महसूस कर सकते हैं कि उनकी आवाज़ बहुत शांत है या उनका लेखन सुस्त, तंग या छोटा है।
पार्किंसंस के अंतिम चरण के लक्षण क्या हैं?
1. आपकी बोलने की शैली एक नरम, लंबी आवाज़ है। 2. गिरना और समन्वय और संतुलन की समस्या होना। 3. ठंड एक चौंकाने वाली, हालांकि संक्षिप्त, गतिहीनता है जो तब होती है जब आप चलना या मुड़ना शुरू करते हैं। 4. व्हीलचेयर या अन्य सहायता के बिना घूमना-फिरना।
लेखक