टॉन्सिल्स हिंदी में(tonsils kya hota hai) | Tonsils Meaning in Hindi
टॉन्सिल्स क्या होते हैं (tonsil kya hota hai)? हमारे गले में पीछे की तरफ 2 लिम्फ नोड्स होते हैं जो हमारे शरीर में इन्फेक्शन को रोककर हमारे शरीर के रक्षा तंत्र की तरह कार्य करते हैं। जब हमारे इसमें इन्फेक्शन हो जाता है तो उस समस्या या कंडीशन को टॉंसिलिटिस कहते हैं। हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम के हिस्से के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें वे श्वसन पथ और शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचने से पहले वायरल और जीवाणु संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसमें कुछ सेल्स होती हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी इन्फेक्शन को रोकती हैं। हालांकि, कभी-कभी, टॉन्सिल्स स्वयं उसी जीवाणुओं/जर्म्स का शिकार हो जाते हैं जिन्हे वो हमारे शरीर में जाने से रोकने के लिए काम करते हैं। जब ऐसा होता है, तो इसमें सूजन आ जाती हैं, जिससे दर्द और असुविधा होती है। कुछ मामलों में, इसका दर्द असहनीय हो सकता है और आपके चेहरे पर इसके लक्षण सफेद दागों के रूप में दिखाई दे सकते हैं, जो इन्फेक्शन का संकेत देते हैं।टॉन्सिल्स के प्रकार | Types of Tonsils in Hindi
उनके लक्षणों और सही होने के समय के अनुसार कई प्रकार के होते है-- एक्यूट टॉन्सिल्स: इस प्रकार के लक्षण 3-4 दिन में चले जाते हैं या ज्यादा सेक्स ज्यादा २ हफ्ते तक रहते हैं।
- आवर्ती टॉन्सिल्स: इस प्रकार के कोई व्यक्ति एक साल में कई बार लक्ष्णों को महसूस कर सकता है।
- क्रोनिक टॉन्सिल्स: इस प्रकार के व्यक्तिके गले में बहुत सूजन आ जाती है और साथ ही साथ साँसों से बधबू आने लगती है।
टॉन्सिल्स होने के कारण | Causes of Tonsils in Hindi
हमारे शरीर में बैक्टीरिया को रोकते हैं। ये व्हाइट ब्लड सेल्स बनाकर हमारी बॉडी को इन्फेक्शन से बचाते हैं। इसका मुख्य कार्य उन बैक्टीरिया और जर्म्स को रोकना जो हमारे मुंह के माध्यम शरीर में प्रवेश करते हैं। परन्तु हमारे टॉन्सिल्स भी इन बैक्टीरिया से कभी कभी लड़ नहीं पाते और इन्फेक्शन हो जाता है।टॉंसिलिटिस होने का मुख्य कारण वायरस से इन्फेक्शन होना है जो साधारण बुखार, ठण्ड लगने की वजह से, और किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन जैसे गला खराब होना इत्यादि के कारण हो सकता है। AAFP के अनुसार करीबन 15 से 30% तक टॉन्सिल्स बैक्टीरिया की वजह से होता है।वायरस टॉन्सिल्स होने का सबसे आम कारण है। एपस्टीन-बार वायरस के कारण हो सकते हैं, जो मोनोन्यूक्लियोसिस का भी कारण होता है।टॉन्सिल्स के लक्षण | Tonsils ke Lakshan

- गले में सूजन
- निगलने में कठिनाई होना
- खराश होना
- सांसों की बदबू
- बुखार
- ठंड लगना
- कान में दर्द
- पेट दर्द
- सिर दर्द
- गर्दन अकड़ जाना
- लिम्फ नोड्स में सूजन के कारण जबड़े और गर्दन में लचकता आ जाना
- लाल और सूजे हुए
- सफेद या पीले रंग के धब्बे
- उलटी होना
- थकान
- खाँसी, सोने में परेशानी होना
- जी मिचलाना
- मुंह खोलने में परेशानी होना
- आवर्ती टॉंसिलिटिस: इसमें एक वर्ष में कई बार टॉन्सिल्स होते हैं जो बहुत ही तीव्र होते हैं
- क्रोनिक टॉंसिलिटिस: इसमें लम्बे समय के लिए होते हैं।
इसके कुछ अन्य लक्षण भी होते है जिसमें निम्न शामिल हैं:
- गले में सूजन
- बुरी सांस, या हालिटोसिस
- गर्दन के लिम्फ नोड्स में कोमलता आ जाना
टॉन्सिल्स की पहचान कैसे करें? | How Tonsils is diagnosed in Hindi?
Test for Tonsils in Hindi : इसकी पहचान करने के लिए आपका डॉक्टर आपके गले का अच्छे से परीक्षण करेगा। इस परीक्षण को करने के लिए डॉक्टर आपके गले के पीछे वाले हिस्से से थोड़ा सैंपल लेगा और इस सैंपल को लेबोरटरी भेजा जायेगा। इस सैम्पल के परीक्षण से यह पता चल जायेगा की आपके गले में इन्फेक्शन या इसके सूजने का असली कारण क्या है।इसके अलावा आपका डॉक्टर आपकी ब्लड सेल काउंट भी कर सकता है। इसमें वह कुछ प्रकार की ब्लड सेल्स को काउंट करने के लिए आपका थोड़ी सी मात्रा में ब्लड लेगा, इस सैंपल से इन्फेक्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल सकती है। अगर लिया गया सैंपल सही नहीं है तो उसके अनुसार आपका डॉक्टर आपके लिए सही इलाज निर्धारित करेगा।टॉन्सिल्स का इलाज | Tonsils Treatment in Hindi
- बहुत हल्के इसमें इलाज की ऐसी कोई खास जरूरत नहीं होती खासकर जो सर्दी के वायरस के कारण हुआ हो।
- अगर थोड़ा ज्यादा है तो इसके लिए आप एंटीबायोटिक्स या टॉंसिलेक्टोमी ले सकते हैं।
- किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, जरूरी है की आप इसका कोर्स पूरा करें। साथ में आपका डॉक्टर समय से ये भी जाँच करेगा की ये दवाएँ कितनी असरदार हैं।
- सर्जरी के द्वारा इसका इलाज करने की प्रक्रिया को टॉंसिलेक्टोमी कहा जाता है। पहले ये इनके इलाज के लिए आम प्रक्रिया हुआ करती थी। आजकल टॉंसिलेक्टोमी को केवल क्रोनिक या आवर्ती इसके इलाज के लिए सुझाया जाता है। इसके अलावा सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब कोई भी इलाज असर नहीं करता या किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है।
- अगर टॉंसिलिटिस के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है तो अंतःशिरा तरल पदार्थ दिया जाता है। गले में सूजन को कम करने के लिए दर्द की दवाई भी इसमें आराम पहुंचाती है।
टॉन्सिल्स के घरेलू इलाज - Tonsils Home Remedy in Hindi
इन उपचारों के अलावा कुछ घरेलू उपायों को करके भी इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके इलाज के लिए कुछ घरेलू इलाज इस प्रकार हैं-टॉन्सिल कितने दिन में ठीक होता है?
वायरल टॉन्सिलिटिस के अधिकांश मामले कुछ दिनों में तरल पदार्थ और भरपूर आराम से साफ हो जाते हैं। एंटीबायोटिक्स आमतौर पर बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस (स्ट्रेप थ्रोट) को लगभग 10 दिनों में खत्म कर देते हैं।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
गले में टॉन्सिल होने का क्या कारण होता है?
टॉन्सिलिटिस अक्सर सामान्य वायरस के कारण होता है, लेकिन जीवाणु संक्रमण भी इसका कारण हो सकता है। टॉन्सिलिटिस पैदा करने वाला सबसे आम जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस पाइोजेन्स (ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस) है, जीवाणु जो स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है। स्ट्रेप और अन्य बैक्टीरिया के अन्य तनाव भी टॉन्सिलिटिस का कारण बन सकते हैं।
टॉन्सिल्स क्या होता है?
टॉन्सिल मुंह के पीछे और गले के ऊपर लिम्फ नोड्स होते हैं। वे शरीर में संक्रमण को रोकने के लिए बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं को छानने में मदद करते हैं। एक जीवाणु या वायरल संक्रमण टॉन्सिलिटिस का कारण बन सकता है। स्ट्रेप थ्रोट एक सामान्य कारण है। संक्रमण गले के अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकता है।
गले में टॉन्सिल हो जाए तो क्या करना चाहिए?
टॉन्सिलिटिस का इलाज खुद कैसे करें १. बहुत आराम करे। २. गले को शांत करने के लिए ठंडा पेय पिएं। ३. पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन लें (16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन न दें) ४. गर्म नमकीन पानी से गरारे करें (बच्चों को यह कोशिश नहीं करनी चाहिए)
लेखक