कुछ साल पहले तक ऐसा माना जाता था कि ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) एक पुरानी बीमारी थी, और यह अब मनुष्यों को प्रभावित नहीं करती। लेकिन अब ड्रग रेसिस्टेन्स और एचआईवी जैसे मुद्दों के कारण, ट्यूबरकुलोसिस या क्षय रोग (Tuberculosis in Hindi) फिर से दुनिया भर के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। टीबी एक बड़ा ही प्रसिद्ध और खतरनाक संक्रामक रोग है। एक संक्रामक एजेंट के कारण होने वाली अन्य बीमारियों की तुलना में टीबी (TB in hindi) संसार का दूसरा सबसे खतरनाक रोग है।यह हवा के द्वारा फैलता है।

दुनिया भर में टीबी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या किसी भी अन्य संक्रामक बीमारी से मरने वाले लोगों से कई गुना अधिक है।असल में टीबी शब्द ट्यूबरकुलोसिस (क्षय रोग) (TB full form in hindi) का संक्षेप है जिसका प्रयोग लोग अक्सर इस बीमारी के बारे में बताने के संदर्भ में करते हैं। यह आमतौर पर मनुष्य के फेफड़ों को प्रभावित करता है।

फेफड़ों के अलावा यह शरीर के बाकी हिस्सों जैसे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में भी फ़ैल सकता है। यहां इस लेख में हमने टीबी के बारे में पूरी जानकारी दी है, जिसमे पहले हम जानेगे की टीबी का मतलब क्या होता है, यह किन कारणों से होता है, इसके लक्षण कैसे दिखते हैं, यह कितने प्रकार का होता है? अन्त में टीबी के इलाज के बारे में और इस रोग में क्या खाएं और क्या न खाएं इसके विषय में भी पढ़ेंगे।

टीबी के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • टीबी दुनियाभर के 1० ऐसे रोगों में से एक है जिसमे एक संक्रामक एजेंट के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह रोग फैलता है।
  • 15 से 44 वर्ष की महिलाओं की मर्त्यु के मुख्य ३ कारणों में से एक है।
  • टीबी के लक्षण आरम्भ में दिखाई नहीं देते और संक्रमित व्यक्ति के माध्यम से अन्य लोगों में भी जल्दी से फ़ैल जाते हैं।
  • अधिकांश संक्रमित लोगों को लेटेंट टीबी होता है, जिसका अर्थ है कि उनके शरीर में टीबी के कीटाणु तो उपस्थित होते हैं, लेकिन उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम उन्हें बीमार होने से बचाता है और न ही वे संक्रामक होते हैं।
  • यदि आप डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवा निर्देशित रूप में ले रहे हैं हैं तो टीबी का इलाज हमेशा ठीक प्रकार से हो सकता है।

ट्यूबरकुलोसिस या क्षय रोग क्या होता है? (What is Tuberculosis in Hindi)

आमतौर पर ट्यूबरकुलोसिस को टीबी के नाम से जाना जाता है। टीबी को हिंदी में क्षय रोग (tuberculosis kya hai), तपेदिक या टीबी के नाम से भी जाना जाता है जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है जो अक्सर मनुष्य के फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी रोग, इलाज योग्य और रोकथाम योग्य है। टीबी हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

जब टीबी से ग्रस्त व्यक्ति खाँसते, छींकतें या थूकते हैं तो वो इनके माध्यम से टीबी के रोगाणुओं को हवा में फैला देते हैं। और इस जर्म्स या रोगाणुओं भरी हवा में साँस लेने मात्र से ही कोई व्यक्ति इन्फेक्टेड या संक्रमित हो सकता है। आइये जानते हैं ट्यूबरकुलोसिस कितने प्रकार का होता है –

ट्यूबरकुलोसिस के प्रकार(Tuberculosis Types)

डॉक्टर्स के अनुसार टीबी या तपेदिक मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है, जो इस प्रकार है-

  • लेटेंट टीबी या गुप्त क्षय रोग
  • एक्टिव टीबी या सक्रिय क्षय रोग

लेटेंट टीबी

इसमें टीबी का जीवाणु निष्क्रिय रूप में शरीर में रहता है। ये आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं और न ही संक्रामक होते हैं, लेकिन ये सक्रिय हो सकते हैं। लेटेंट टीबी तब होता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में टीबी के जीवाणु होते हैं, लेकिन बैक्टीरिया बहुत कम संख्या में मौजूद होते हैं। लेटेंट टीबी वाले लोग बीमार महसूस नहीं करते हैं, और आमतौर पर उनके द्वारा कराये गए टेस्ट जैसे एक्स-रे और थूक परीक्षण सामन्यतः नकारात्मक ही होते हैं।

लटेंट टीबी के लिए सामन्यतः 2 प्रकार के टेस्ट होते हैं – टीबी स्किन टेस्ट और IGRA रक्त परीक्षण

एक्टिव टीबी

एक्टिव टीबी में टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं और एक्टिव टीबी से ग्रस्त व्यक्ति आसानी से दूसरों को इन्फेक्टेड कर सकता है। एक्टिव टीबी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम माइकोबैक्टीरियम तपेदिक जीवाणु से लड़ने या बचाव करने में असमर्थ हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति के फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं, जो कि सबसे आम लक्षण होता है।

इससे प्रभावित अंगों में श्वसन प्रणाली,जठरांत्र प्रणाली, मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली, लिम्फोरैसेटिक प्रणाली और रिप्रोडक्टिव सिस्टम, साथ ही साथ त्वचा और लिवर भी शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की लगभग एक-तिहाई आबादी लेटेंट टीबी या गुप्त क्षय रोग से पीड़ित है। लेटेंट टीबी के सक्रिय होने के लगभग 10 प्रतिशत चान्सेस होते हैं, लेकिन यह जोखिम उन लोगों में बहुत अधिक होता है जिनका इम्यून सिस्टम बहुत ही कमजोर हो चुका है , यानी एचआईवी या कुपोषण के शिकार लोग, या धूम्रपान करने वाले लोग।”

भारत में टीबी

टीबी (TB disease in hindi) एक बेहद संक्रामक बीमारी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल कुल २५ लाख के करीब टीबी के मामले सामने आते हैं, जिसके कारण भारत में हर साल करीब 4 लाख लोग अपनी जान गँवा देते हैं।हर साल भारत में टीबी से मरने वाले लोगों की संख्या दुनिया भर के कुल मामलों का एक चौथाई हिस्सा है, जो किसी भी देश से बहुत ज्यादा है। जनवरी 2018 से अगस्त 2018 में, टीबी के मरीजों की कुल संख्या 3,32,149 पायी गयी है। भारत में होने वाली मौतों का एक शीर्ष कारण टीबी है, जो शीर्ष 10 कारणों में से एक है जिनमे एक संक्रामक एजेंट के कारण मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। हर साल टीबी के कारण लाखों लोग बीमार पड़ते हैं।

भारत में, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में स्वच्छता की कमी, पोषण और ज्ञान की कमी के कारण टीबी के मरीज़ों की संख्या सबसे ज़्यादा है। भारत को टीबी मुक्त करने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने पहल की है और वर्ष २०१५ तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए मुहीम चलाई है इस मुहीम के अंतर्गत सर्वप्रथम छोटे राज्यों को इस जानलेवा बीमारी से मुक्त कराया जायेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार २०२२ तक इन सभी छोटे राज्यों में टीबी के मरीजों का इलाज कराकर उन्हें पोलियो और ट्रेकोमा के बाद टीबी मुक्त करने में भी सफलता प्राप्त कर लेगा।

टीबी के कारण

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बेक्टीरिया टीबी का कारण बनता है। इसके अलावा यह हवा के माध्यम से फैलता है, जब टीबी वाले व्यक्ति (जिनके फेफड़े प्रभावित होते हैं) खांसी, छींक, थूक, हंसते हैं, या बातचीत करते हैं, तब इसके बेक्टीरिया हवा में फ़ैल जाते हैं और दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित कर देते हैं। टीबी या तपेदिक एक संक्रामक रोग है, लेकिन इसे पहचानना आसान नहीं है।

किसी अजनबी की अपेक्षा आपके साथ रहने वाले व्यक्ति या काम करने वाले व्यक्ति से आपको टीबी होना कहीं अधिक आसान है। ऐसे व्यक्ति जिन्हे सक्रिय टीबी है और कम से कम 2 सप्ताह पहले इसका उचित उपचार करा चुके हैं, वे संक्रामक नहीं होते हैं।

टीबी के लक्षण (TB Symptoms in Hindi)

यद्यपि आपका शरीर बैक्टीरिया का कारण बन सकता है जो तपेदिक का कारण बनता है, क्योंकि लेटेंट टीबी के लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए यहां हमने सक्रिय टीबी के लक्षणों (TB ke lakshan in hindi) के बारे में बताया है जो इस प्रकार हैं

tuberculosis symptoms in hindi

  • खांसी जो तीन से ज्यादा सप्ताह तक चलती है
  • खूनी खाँसी
  • छाती में दर्द, या सांस लेने या खांसी के साथ दर्द
  • अचानक वजन घटना
  • थकान
  • बुखार
  • रात में पसीना आना
  • ठंड लगना
  • भूख में कमी

टीबी आपके फेफड़ों के (tuberculosis symptoms in hindi) अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें आपके गुर्दे, रीढ़ और मस्तिष्क भी शामिल हैं। जब टीबी आपके फेफड़ों के बाहर होता है, तो इसके संकेत और लक्षण शामिल अंगों के अनुसार भिन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, रीढ़ की हड्डी का तपेदिक आपको पीठ दर्द दे सकता है, और आपकी किडनी (गुर्दे) में तपेदिक आपके मूत्र में रक्त का कारण बन सकता है।

  • यदि टीबी हड्डियों को संक्रमित करता है तो यह हड्डी के दर्द और जॉइंट्स में दर्द का कारण बन सकता है
  • मस्तिष्क में टीबी मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है
  • लीवर और किडनी में टीबी उनके अपशिष्ट को फ़िल्टर करने के कार्यों को खराब कर सकती है और मूत्र में रक्त का कारण बन सकती है
  • दिल में टीबी रक्त को पंप करने की हृदय की क्षमता को खराब कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कार्डियक टैम्पोनैड नामक एक कंडीशन हो जाती है जो घातक हो सकती है

टीबी किसे हो सकता है?

वैसे तो कोई भी टीबी का शिकार हो सकता है परन्तु कुछ कारक ऐसे होते हैं जो इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमे निम्नलिखित शामिल हैं-

कमजोर इम्यून सिस्टम

यदि आपका इम्यून सिस्टम मजबूत है तो यह आपको तपेदिक (Tuberculosis Meaning in Hindi) के बैक्टीरिया से से बचा सकता है पर अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो आपका शरीर प्रभावी बचाव नहीं कर सकता है। कई बीमारियां और दवाएं आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • एचआईवी / एड्स
  • मधुमेह
  • गंभीर किडनी की बीमारी
  • कुछ तरह के कैंसर
  • कैंसर उपचार, जैसे कीमोथेरेपी
  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट के समय दी जाने वाली दवाएं
  • कुछ दवाएं जो रूमेटोइड गठिया, क्रोन की बीमारी और सोरायसिस का इलाज करने के लिए दी जाती हैं
  • कुपोषण या मालन्यूट्रिशन

टीबी वाले क्षेत्रों में यात्रा करने से

टीबी होने का सबसे ज्यादा जोखिम उन लोगो को होता है जो ऐसी जगह या ऐसे देश में रहते हैं या यात्रा करते हैं, जहां तपेदिक की दर बहुत अधिक है आपके रहने का स्थान और कार्यस्थल

  • हेल्थ केयर वर्क: ऐसे व्यक्तियों जो बीमार हैं, के साथ लगातार संपर्क में रहने से बैक्टीरिया के संपर्क में आने की संभावना बढ़ सकती है। मास्क पहनना और लगातार हाथ धोने से टीबी के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • रेजिडेंशियल केयर फैसिलिटी वाली जगहों पर रहना और कार्य करना: जो लोग जेल में रहते हैं या कार्य करते हैं, या आप्रवासन केंद्र या नर्सिंग होम में कार्य करते हैं, उन लोगों को तपेदिक होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
  • रेफ्यूजी केम्प या आश्रय गृहों में रहने वाले लोग: खराब पोषण, बीमार स्वास्थ्य और भीड़, अस्वस्थ स्थितियों में रहने वाले शरणार्थियों को विशेष रूप से टीबी के इन्फेक्शन का उच्च जोखिम होता है।

टीबी से बचाव

TB

यदि आप टीबी से पीड़ित हैं या आस पास किसी को टीबी है तो पहले कुछ हफ्तों के उपचार के दौरान, या जब तक आपका डॉक्टर न कहे कि अब आपको कोई खतरा नहीं है: परन्तु दूसरों को टीबी से बचाने में मदद करने के लिए इन अन्य युक्तियों का पालन करें। टीबी के प्रसार को रोकने के लिए कुछ सामान्य उपाय किए जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • जब तक आपका डॉक्टर मना न करे, तब तक अपनी सभी दवाएं लें।
  • डॉक्टर के साथ सारी अपॉइंटमेंट लें।
  • खांसी या छींक आने पर हमेशा अपने मुंह को रूमाल से ढकें या मास्क का इस्तेमाल करें। इस्तेमाल करने के बाद एक प्लास्टिक की थैली में मास्क को सील करें, फिर इसे फेंक दें।
  • खांसने या छींकने के बाद अपने हाथ धोएं।
  • अन्य लोगों से मिलने न जाएँ और न ही उन्हें आपको देखने के लिए आमंत्रित न करें।
  • काम, स्कूल, या अन्य सार्वजनिक स्थानों से दूर रहें।
  • ताजी हवा में घूमने के लिए पंखे या खुली खिड़कियों का उपयोग करें।
  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग न करें।
  • यदि आपको टीबी है तो ऐसे व्यक्तियों से दूर रहें जो टीबी या तपेदिक से पीड़ित हैं, इस प्रकार टीबी के बेक्टेरिया के जोखिम से बचा जा सकता है।
  • BCG का टीका लगवाएं।
  • टीबी के रोगियों के लिए टीबी की शिक्षा जरूरी है। टीबी के रोगियों को यह जानने की जरूरत है कि टीबी की दवाओं को सही तरीके से कैसे लेना है। उन्हें यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनसे किसी अन्य व्यक्ति को टीबी न फैले।तपेदिक के रोगियों के साथ साथ आम जनता के लिए भी टीबी शिक्षा भी जरूरी है।

टीबी का निदान

टीबी या क्षय रोग के निदान के लिए स्प्यूटम परीक्षण और CBNAAT परीक्षण दोनों की आवश्यकता होगी। नोट: CBNAAT परीक्षण सबसे अच्छा परीक्षण होता है और सभी टीबी केंद्रों में भारत सरकार द्वारा मुफ्त में किया जाता है।CBNAAT परीक्षण का मुख्य लाभ यह है कि यह पुष्टि करने में सक्षम होता है कि क्या टीबी रोग को 4 एंटीबायोटिक दवाओं से सही किया जा सकता है या यह MDR है। इसके अलावा कभी-कभी प्रयोगशाला द्वारा किया गया स्प्यूटम परीक्षण भी बहुत सारे कारकों की वजह से सटीक नहीं हो पाता।

CBNAAT टेस्ट

CBNAAT टेस्ट को जीनएक्सपर्ट परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है जो टीबी के लिए एक आणविक या मॉलिक्युलर परीक्षण है जो टीबी बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के साथ-साथ दवा रिफैम्पिसिन के प्रतिरोध के लिए परीक्षण करके टीबी का निदान करता है। CB-NAAT टेस्ट का पूरा नाम कार्ट्रिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट है।

ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट

ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण में मरे हुए टीबी के कीटाणु का उपयोग किया जाता है जिन्हें त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है। यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित होगा, तो इंजेक्शन की जगह पर एक गांठ बन जाएगी जिसका अर्थ है कि टीबी के कीटाणुओं ने शरीर को संक्रमित किया है, हालांकि यह जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को एक्टिव टीबी है।

तपेदिक रक्त परीक्षण

तपेदिक त्वचा परीक्षण के स्थान पर तपेदिक के कीटाणुओं का पता लगाने के लिए आजकल दो नए रक्त परीक्षण का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक परीक्षण में ब्लड सैंपल लिया जाता है जो तब बैक्टीरिया में पाए जाने वाले एंटीजन (प्रोटीन) के एक समूह से प्रेरित होता है जो टीबी का कारण बनता है।

यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ने कभी इन एंटीजन को देखा है, तो आपकी कोशिकाएं इंटरफेरॉन-गामा का उत्पादन करेंगी, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एक पदार्थ है और जिसे प्रयोगशाला में मापा जा सकता है।

छाती का एक्स – रे

यह परीक्षण अपने लेटेंट चरण में टीबी का पता नहीं लगा पाता। यदि कोई व्यक्ति कुछ समय पहले ही टीबी से संक्रमित हुआ है, लेकिन अभी तक सक्रिय रोग विकसित नहीं हुआ है, तो छाती के एक्स-रे से बीमारी का पता नहीं चलेगा और यह सामान्य होगा। कुछ लोग त्वचा परीक्षण और टीबी रक्त परीक्षण में टी बी आने के बाद भी उनके छाती के एक्स-रे में कुछ नहीं आता। यदि टीबी के कीटाणु ने हमला किया है और फेफड़ों में सूजन है, केवल तब ही छाती की एक्स-रे में टीबी का पता चलेगा।

स्प्यूटम टेस्ट

इस टेस्ट में फेफड़ों से निकले बलगम के नमूनों का परीक्षण किया जाता है जो यह बताता है की टीबी के कीटाणु मौजूद हैं या नहीं। टीबी जीवों के सबूत देखने के लिए एक माइक्रोस्कोप (एक “थूक स्मीयर”) के द्वारा बलगम की जांच की जाती है। भारत में इस परीक्षण की लागत लगभग 300 रुपये है।

टीबी का इलाज(tuberculosis ka ilaz)

यदि सही समय पर सही दवा उपलब्ध हो जाये और सही ढंग से इलाज कराया जाये तो टीबी के  अधिकांश मामलों को ठीक किया जा सकता है।इसका इलाज दवाइयों के माध्यम से, घरेलू नुस्खों और आयुर्वेदिक इलाज की सहायता से किया जा सकता है

दवाइयों की सहायता से

एंटीबायोटिक दवाइयों का इलाज (तपेदिक उपचार) कब तक और कितना लम्बा चलेगा यह पूरी तरह से व्यक्ति की आयु, समग्र स्वास्थ्य, दवाओं के संभावित प्रतिरोध पर निर्भर करता है, फिर चाहे टीबी लेटेंट हो या सक्रिय हो, या टीबी का इन्फेक्शन शरीर के किसी भी स्थान पर हो (यानी फेफड़े, मस्तिष्क, गुर्दे। लेटेंट तपेदिक वाले लोगों को केवल एक प्रकार की टीबी की एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो सकती है, जबकि सक्रिय टीबी (विशेष रूप से एमडीआर-टीबी) वाले लोगों को अक्सर कई दवाओं (डॉक्टर द्वारा प्रेसक्राइब्ड दवाइयाँ) की आवश्यकता होती है।

एंटीबायोटिक्स आमतौर पर अपेक्षाकृत लंबे समय तक के लिए ली जाती हैं। तपेदिक के एंटीबायोटिक्स के कोर्स की समय सीमा लगभग 6 महीने है। टीबी की दवा लिवर के लिए विषाक्त हो सकती है, और हालांकि इसके साइड इफेक्ट होना काफी असामान्य हैं, लेकिन जब वे होते हैं, तो काफी गंभीर हो सकते हैं। संभावित साइड इफेक्ट्स होने पर डॉक्टर को सूचित करना चाहिए, जिनमे शामिल हैं:

किसी भी बीमारी के इलाज के लिए जरूरी है कि उसका कोर्स पूरी तरह से पूरा हो, भले ही टीबी के लक्षण या किसी अन्य बीमारी के लक्षण दूर ही क्यों न हो जाएं। इलाज से बचने वाला कोई भी बैक्टीरिया दवा के लिए प्रतिरोधी बन सकता है और भविष्य में एमडीआर-टीबी (MDR-TB) विकसित कर सकता है। ज्यादातर मामलों में टीबी के इलाज के लिए डायरेक्ट ओब्ज़र्व्ड थेरेपी (DOT) की सिफारिश की जा सकती है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता शामिल है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि टीबी के उपचार का कोर्स पूरा हो गया है।

घरेलू नुस्खों से

टीबी के सबसे प्रभावी घरेलू इलाजों में दूध, अनानास, संतरा, केला, लहसुन, पुदीना, अखरोट, आंवला, ग्रीन टी, काली मिर्च, अजवाइन, लौकी, धूप, अलसी और विंटर चेरी का उपयोग शामिल है ।

  1. दूध: दूध को टीबी के इलाज के लिए सर्वोत्तम उपायों में से एक माना जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दूध हमारे भोजन में कैल्शियम के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है, और शरीर में कैल्शियम टीबी के लक्षणों का प्रतिकार करने के लिए एक सबसे उत्तम विटामिन है। यह न केवल शरीर को टीबी के बैक्टीरिया के प्रभाव से बचाता है, बल्कि श्वसन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने में सहायता भी करता है, सूजन को कम करता है, और संक्रमण से प्रभावी रूप से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है।
  2. केले: यह स्वादिष्ट फल दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में टीबी के प्रभावी इलाज के लिए सैकड़ों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा  है। केले में विटामिन और कार्बनिक यौगिकों की उच्च सांद्रता होती है जो सूजन, खांसी, तेज बुखार, और अत्यधिक बलगम उत्पादन को कम कर सकती है। एक दिन में कुछ केले खाने से पूरी तरह से यह स्थिति ठीक हो सकती है।
  3. अनानास (पाइनएप्पल):रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट्स में बलगम को तोड़ने और फेफड़े और नेसल कैविटी की सफाई करने के लिए अनानास बहुत अच्छा होता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए सक्षम बनता है। तो यदि आप टीबी से ग्रस्त हैं तो अनानास का सेवन करें या प्राकृतिक रूप से टीबी से लड़ने के लिए अनानास का रस पियें।
  4. लहसुन: लहसुन को पानी में घोलकर पीने से, या ताज़े लहसुन को अपने भोजन में शामिल करने से, आप प्रभावी रूप से टीबी के लक्षणों को दूर कर सकते हैं या आप लहसुन का सेवन करके अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं और टीबी की रोकथाम कर सकते हैं।
  5. लौकी व् अन्य गॉर्डस: विभिन्न प्रकार के गॉर्डस जैसे लौकी, तोरई, करेले इत्यादि प्रभावी प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं। टीबी  से पीड़ित लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब आप संक्रमित होते हैं तो सर्वाधिक प्रभाव आपके इम्यून सिस्टम यानि प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है।
  6. पुदीना: पुदीना न केवल आपके पसंदीदा कॉकटेल को स्वाद देने या आपकी सांस को ताज़ा करने के काम ही नहीं आता, यह आपके श्वसन पथ में बलगम को तोड़ने के काम भी आता है, जिससे हवा आराम से जा सके। इसमें प्रतिरक्षा-उत्तेजक गुण और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो शरीर में होने वाले किसी भी संक्रमण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं । टीबी से पीड़ित व्यक्ति को अपने दैनिक आहार में पुदीने को अवश्य शामिल करना चाहिए।
  7. आंवला: आंवला को टीबी के लक्षणों को प्रभावी रूप से कम करने के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से तब जब शुद्ध आंवले के रस को शहद में मिलाकर सेवन किया जाता है। यह पेट और श्वसन पथ की रक्षा करता है और सूजन और बेचैनी से राहत देता है।
  8. संतरा: संतरे को विटामिन सी और अन्य लाभकारी विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट का उच्च स्त्रोत माना जाता है। इसकी उच्च सांद्रता संतरे को टीबी के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू उपाय बनाती है। संतरे का रस फेफड़ों और श्वसन पथ में जमाव को तोड़ सकती है और कफ को, खांसी और बलगम में रक्त की मात्रा को कम करता है। साथ ही, संतरे में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट प्रभावी रूप से संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं।
  9. काली मिर्च: काली मिर्च एक एंटी इन्फ्लैमटॉरी पदार्थ है, जो फेफड़ों को साफ करने, खांसी को कम करने और दर्द और परेशानी को खत्म करने में भी मदद कर सकता है। यदि आप मक्खन में काली मिर्च को भूनते हैं, और उन्हें मसल दें और दिन में कई बार इसका सेवन करें, आप त्वरित परिणाम प्राप्त कर सकते हैं और टीबी की स्थिति से राहत पा सकते हैं।
  10. ग्रीन टी: ग्रीन टी में बैक्टीरिया को बाहर निकालने और इसे शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए उच्च पॉलीफेनोल सामग्री होती है। हर दिन एक कप या दो कप ग्रीन टी, टीबी मरीज के लिए एक अद्भुत घरेलू उपचार है।

यद्यपि ये घरेलू इलाज काफी हद तक कारगर होते हैं फिरभी टीबी होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें क्योंकि टी बी एक अत्यंत गंभीर बीमारी है और यह इलाज न किये जाने पर जानलेवा भी हो सकती है।

आयुर्वेदिक इलाज

  1. एडेप्टोंजेनिक जड़ी बूटी: एडेप्टोंजेनिक जड़ी-बूटियाँ जैसे कि रोडियोला (रोडियोला रसिया) और एस्ट्रैगलस (एस्ट्रैगलस मेम्ब्रेनस), टीबी के रोगी के लिए बहुत उपयोगी हो सकती हैं क्योंकि ये जड़ी बूटियां प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं। प्राकृतिक रूपांतरों के रूप में, वे शरीर को संतुलित, पुनर्स्थापित और संरक्षित करने में मदद करते हैं। एक रिसर्च से पता चला है कि टीबी का इलाज करने के लिए एस्ट्रैगलस विशेष रूप से सहायक हो सकता है। आप प्रतिदिन तीन से चार बार एस्ट्रैगलस (250 से 500 मिलीग्राम) का मानकीकृत अर्क ले सकते हैं। प्रतिरक्षा या इम्युनिटी बढ़ाने के लिए, आप एक मानकीकृत रोडियोला अर्क (150 से 300 मिलीग्राम) प्रति दिन एक से तीन बार ले सकते हैं।
  2. त्रिफला: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-एचआईवी और एंटी-एलर्जी गुण होते है जो सूजन, गर्मी, संक्रमण, मोटापा जैसी अन्य स्थितियों के लक्षणों को सही करने के काम में आता है। यह एनीमिया, थकान, खराब पाचन, तपेदिक, निमोनिया, आदि बीमारियों को ठीक करने में भी सहायक माना जाता है।
  3. मंजिष्ठा: मंजिष्ठा को रूबिया कोर्डिफ़ोलिया या मजीठ के रूप में भी जाना जाता है और इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में सबसे मूल्यवान जड़ी बूटियों में से एक माना जाता है। इसका उपयोग त्वचा के रंग में सुधार और डिटॉक्सिफायर के रूप में किया जाता है। साथ ही यह तीनों दोषों को दूर करता है। यह एक शक्तिशाली रक्त शोधक है और लसीका समर्थन के लिए उत्कृष्ट है। टीबी के रोगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाई सिद्ध हो चुका है।

टीबी में क्या खाएं और क्या नहीं 

यदि आप टीबी से पीड़ित हैं तो आपको अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। इसके लिए आप निम्नलिखित भोजन से सम्बंधित टिप्स को अपनाकर टीबी के जोखिम और टीबी के लक्षणों को कम कर सकते हैं:

  1. ऐसे खाद्य जिनसे एलर्जी होती हो उनका सेवन न करें।
  2. यह जरूर सुनिश्चित करें कि आप बी-विटामिन के साथ-साथ आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ भी खा रहे हैं।
  3. अपने आहार में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ अवश्य शामिल करें (जैसे फल, सब्जियाँ और ग्रीन टी सभी बेहतरीन स्रोत हैं)।
  4. उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन करें जैसे कि लीन बीफ और जंगली सेमन।
  5. अपने आहार में ट्रांस-फैटी एसिड के स्रोतों को निकल दें जैसे फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड।
  6. सफेद ब्रेड, सफेद चावल, पास्ता और परिष्कृत चीनी जैसे परिष्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।
  7. कॉफी, शराब और तंबाकू उत्पादों से बचें।
  8. कैफीन का सेवन कम रखें और उच्च गुणवत्ता वाले कार्बनिक कैफीन स्रोतों का चयन करें।
  9. अपने आहार में बहुत सारे प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें/ या रोजाना प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेते रहे।

जटिलताएं

यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो टीबी घातक हो सकता है। यद्यपि यह ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है, किन्तु यह रक्त के माध्यम से भी फैल सकता है, जिससे जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे:

  • मेनिनजाइटिस: मस्तिष्क को कवर करने वाले झिल्ली की सूजन।
  • रीढ़ की हड्डी में दर्द।
  • संयुक्त क्षति।
  • जिगर या गुर्दे को नुकसान।
  • हृदय विकार: यह अधिक दुर्लभ है।

सौभाग्य से, उचित उपचार के साथ, टीबी अधिकांश मामलों में इलाज योग्य हैं। यदि पुराने आंकणो को देखा जाये तो उनकी तुलना में टीबी के मामले में कमी आई है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2015 तक भारत को टीबी (Tuberculosis in Hindi) मुक्त देश बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है , लेकिन यह बीमारी आज भी चिंता का विषय बनी हुई है। उचित उपचार के बिना, टीबी से बीमार लोगों के दो तिहाई लोग मर जाते हैं। इसलिए आवश्यक है की समय से इसके लक्षणों की पहचान करके इसका इलाज करा लिया जाये और यदि आपको यह रओ हो चूका है तो कोशिश करें की यह किसी अन्य को न हो।